शनिवार, 23 जुलाई 2011

सुनो एक कन्या भ्रूण की चित्कार

मैं एक भ्रूण हूं। अभी मेरा कोई अस्तित्व नहीं। मैं प्राकृतिक रूप से सृष्टि को आगे बढ़ाने का दायित्व लेकर अपनी मां की कोख में आई हूं। अब आप पहचान गए होंगे कि मैं सिर्फ  कन्या भ्रूण हूं।
यह कैसी घोर विडंबना है कि जिस देवी को स्मरण कर मुझे पहचाना जाता है, उसे तो घर-घर सादर बुलाया जाता है और मुझे उसी के स्वरूप इस खूबसूरत दुनिया में अपनी कोमल आंखे खोलने से पहले ही कुचल दिया जाता है।
खुद के अस्तित्व के मिटने से कहीं ज्यादा दुख मुझे इस बात का है कि मेरी हत्या के लिए 'जय माता दी' जैसा ‍दिव्य उच्चारण करते हुए किसी के जुबान नहीं कांपते।
सबको पता है कि रोजाना करीब 1800-1900 मुझ जैसी कन्या भ्रूण की हत्याएं कर दी जाती है।  एक संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2001-2010 के बीच करीब 13,82,000 कन्या भ्रूण की हत्या हुई है
 मैं चिखती रहती हूं और तड़पती रहती हूं, लेकिन मेरी चित्कार कोई नहीं सुनता। मुझे मांस का एक टुकड़ा समझ कर निर्ममता से मां की कोख से ही निकाल कर फेंक दिया जाता है। मैं अहनी मां से क्या शिकायत करूं, वह तो खुद बेबस सी पड़ी रहती है । मुझे यह शिकायत है अपनी मां से कि  जब मुझे  इस दुनिया में लाने का साहस ही नहीं है  तो फिर क्यों बनती हो सृजन की भागीदार। तुम्हें भी तो तुम्हारी मां ने जन्मा है और  आज तुम मुझे कोख में ला सकी हो। नौ दिन तक छोटी कन्याओं को पूजने वाली मां अपनी ही संतान को नौ माह नहीं रख पाती हो, क्योंकि मैं कन्या भ्रूण है।
ऐ दुष्ट मां, मैं गर्भ चिकित्सीय समापन अधिनियम, 1971नहीं जानती हूं लेकिन तुम तो जानती है न कि गर्भवती स्त्री कानूनी तौर पर गर्भपात केवल इन स्थितियों में करवा सकती है :
1. जब गर्भ की वजह से महिला की जान को खतरा हो।
2. महिला के शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य को खतरा हो।
3. गर्भ बलात्कार के कारण ठहरा हो।
4. बच्चा गंभीर रूप से विकलांग या अपाहिज पैदा हो सकता हो।
 मां, तुझे यह भी पता है कि आईपीसी की धारा 313 में स्त्री की सहमति के बिना गर्भपात करने-करवाने वालों को आजीवन कारावास या जुर्माने से भी दण्डित किया जा सकता है। पर इन कानूनों के नाम पर मैं किसे डरा रही हूं । उन्हें जो ईश्वर से भी नहीं डरते और 'जय माता दी' कहकर जीवनदायिनी मां का नाम मेरी मौत से जोड़कर कलंकित करते हैं।
 नौ दिनों तक 'स्त्री पूजा और सम्मान का ढोंग करने वालों' अपनी आत्मा से पूछों कि देवी के नाम पर रचा यह संकेत क्या देवी ने नहीं सुना होगा? अगली बार जब किसी नन्ही आत्मा को पहचाने जाने के लिए तुम बोलो 'जय माता दी' तो मेरी कामना है कि तुम्हारी जुबान लड़खड़ा जाए, तुम यह पवित्र शब्द बोल ही ना पाओ। देवी मां करे, नवरात्रि में तुम्हारी हर पूजा व्यर्थ चली जाए और तुम्हारे हर 'पाप' पर मेरे सौ-सौ 'शाप' लगे।


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