लोकपाल बिल को लेकर 16 अगस्त से अनशन की तैयारी कर रहे अन्ना हजारे पर कांग्रेस ने चौतरफा हमला बोल दिया है। सिब्ब्ल और प्रणब मुखर्जी ने इसे असंवैधानिक करार दिया।
कपिल सिब्बल ने कहा कि अन्ना हजारे का प्रदर्शन पूरी तरह से असंवैधानिक व संसद का अपमान है। उन्होंने कहा कि विरोध के अधिकार का मतलब अपनी पसंद की जगह पर विरोध करने का अधिकार नहीं है।
उधर, केंद्रीय मंत्री प्रणव मुखर्जी ने आरोप लगाया कि वह संविधान और संसद को चुनौती दे रहे हैं और यह कदम स्वीकार्य नहीं है। मुखर्जी ने कहा कि जहां तक संविधान का सवाल है तो कानून बनाने का काम सरकार का है ना कि किसी तीसरी शक्ति का। कोई भी इस बात के लिए मजबूर नहीं कर सकता कि कानून उसकी इच्छा के अनुसार बने। यह फैसला करने का काम संसद का है।
कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने भी हजारे के आंदोलन करने के नैतिक अधिकार पर निशाना साधते हुए गांधीवादी कार्यकर्ता से न्यायमूर्ति पीबी सावंत आयोग द्वारा उनके तथा उनके ट्रस्ट के खिलाफ पाये गये गंभीर निष्कर्षों पर स्पष्टीकरण मांगा है।
अन्ना हजारे ने 16 अगस्त को शुरू होने वाले अपने अनशन के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा लगाई शर्तों पर प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप का आग्रह किया था, जिससे किनारा करते हुए पीएम ने उन्हें दिल्ली पुलिस के पास जाने को कहा।
मुखर्जी ने कहा कि अन्ना हजारे जो कर रहे हैं वह संसद की संवैधानिक सत्ता को चुनौती देने जैसा है जोकि स्वीकार्य नहीं है। अपने प्रस्तावित अनशन पर लगाई पाबंदी को लेकर हजारे के विरोध के संबंध में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमने अन्ना हजारे को एक जगह मुहैया कराई है। वह इसे पसंद या नापसंद कर सकते हैं। लेकिन तथ्य यह है कि कुछ जगहें हैं जहां हम लोगों को जमा होने की इजाजत नहीं देते जैसे राइटर्स बिल्डिंग और विधानसभा जहां धारा 144 लागू है।
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