गुरुवार, 14 जनवरी 2010

वेशक बाल ठाकरे दोगली मनसिकता वाला बुढ्ढा हो गया है.

मैं जब भी शिवसेना नेता बाल ठाकरे या उसके भतीजा राज ठाकरे को किसी भी समाचार पत्र-पत्रिका या चैनल आदि पर देखता हूँ, मेरा मन-मस्तिष्क को घिन आने लगती है. चुहे जैसे बिल मे रहकर शेर की बोली कोई दोगली मानसिकता वाला आदमी ही बोल सकता है. मैं नही जानता कि “ठाकरे ग्रुप” का सामना अखबार कितना बडा अखबार है.अभी तक देखने को नही मिली है. देखने को मिली है तो सिर्फ इतना कि हिन्दी भाषी क्षेत्रो के लोगों से नफरत करने वाले इस बुढ्ढे के बातो को हिन्दी भाषी क्षेत्रो मे इतनी प्रमुखता से प्रसारित क्यो की जाती है?. हर दैनिक अखबार उसके बातो को इतनी आकर्षक ढंग से परोसने वाले संपादको को भी शर्म क्यो नही आती? ये लोग आखिर उसके इतने मुरीद क्यो है?बाल ठाकरे के “सामना” अखबार की सम्पादकीय पढ़कर आखिर ये खबर क्यो बनाते है ? आस्ट्रेलिया मे जो कुछ हो रहा है वह एक विश्वस्तरीय शर्म मानी जानी चाहिये.लेकिन बाल ठाकरे जैसे लोगों के मुँह के बल नही,अपितु भारत जैसे विश्व के सबसे बडे लोकतांत्रिक देश भारत के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के ठोस कारगर कदम के प्रयास से.प्रतिभा का सम्मान और संरक्षण होनी चाहिये.चाहे बिहार,उत्तर प्रदेश की मेहनतकश प्रतिभाएँ महाराष्ट्र जैसे प्रांत मे हो या समुचे देश के किसी भी हल्के की प्रतीभा आस्ट्रेलिया जैसे विदेश मे.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

धन्यवाद