हाल के वर्षों में मीडिया के अक्ल-शक्ल सब बदल गए है..... कितने बदले हैं हम और....कितनी बदली है हमारी मीडिया..........अब अखबारों से स्याही से वह सुगंध नहीं क्यों नहीं फैलते?.........जिसमें सूखी हड्डियों को भी स्फूर्त करने की ताकत थी…….
आखिर कौन सी वे वजहें हैं ?...... कि आज अखबारों से निकलने वाली तेज गंध नाक सिकोड़ने को लाचार कर रही है………..मैं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की भी बात करना चाहूंगा……..जिसका जीवन इलेक्ट्रिक के कटते खत्म हो जाए...उसमें इतनी उछल-कूद क्यों?......लोगों की भीड़ जुटाने के लिए नंगई पर उतरना जरुरी है ?........
हमें आपकी एक फुसफुसाहट की दरकार है........आपकी एक-एक फुसफुसाहट को पिरोकर हम मचाएंगे हल्ला.. ...इतनी जोरदोर हल्ला कि बहरे भी सुनने लगे..थेथर भी चलने लगे...आज मैं राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी के तीनों बंदर को अंगीकार करते हैं...........बुरा मत बोलो.. बुरा मत देखो........और बुरा मत सुनो......हम आपसे भी ये तीन मंत्र की आकांक्षा रखते हैं...........जय हिंद..जय भारत.
आखिर कौन सी वे वजहें हैं ?...... कि आज अखबारों से निकलने वाली तेज गंध नाक सिकोड़ने को लाचार कर रही है………..मैं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की भी बात करना चाहूंगा……..जिसका जीवन इलेक्ट्रिक के कटते खत्म हो जाए...उसमें इतनी उछल-कूद क्यों?......लोगों की भीड़ जुटाने के लिए नंगई पर उतरना जरुरी है ?........
हमें आपकी एक फुसफुसाहट की दरकार है........आपकी एक-एक फुसफुसाहट को पिरोकर हम मचाएंगे हल्ला.. ...इतनी जोरदोर हल्ला कि बहरे भी सुनने लगे..थेथर भी चलने लगे...आज मैं राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी के तीनों बंदर को अंगीकार करते हैं...........बुरा मत बोलो.. बुरा मत देखो........और बुरा मत सुनो......हम आपसे भी ये तीन मंत्र की आकांक्षा रखते हैं...........जय हिंद..जय भारत.
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