गौर से देखिए इन तस्वीरों को..ये तस्वीरें हैं रजरप्पा अवस्थित मां
छिन्न मस्तिका मंदिर परिसर की.जो सिर्फ बतौर बानगी पेश है..समूचा आलम कहीं
और बद्दतर है.
मंदिर परिसर की व्यवस्था या रख-रखाब पर शासन-प्रशासन का कोई नियंत्रण
नहीं है.सारी जिम्मेवारी पाखंड में आकंठ डूबे पंडों ने हर तरफ बेड़ा गर्क
कर रखा है.हाथीदह तालाब पंडो के मल-मूत्र संग्रह स्थल के अलावे कुछ नहीं
दिखता.
पंडों के पास पैसों की कमी नहीं है.उन्हें मां के श्रद्यालुओं से
करोड़ों रुपए की आमदनी होती है.सभी पंडे शराब- शबाब-कबाब में गोते लगा
ऐश-मौज की जिंदगी जी रहे हैं.इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं ?कई पंडों ने तो
राजधानी रांची में भोग-विलास युक्त आलीशान बंगले बना रखे हैं और बड़े-बड़े
कारोबार कर रहे हैं........
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