मंगलवार, 24 मई 2011

यूं सरेआम अपनी चड्डी तो न उतारो...

देश के कई सजग नागरिकों ने "कोनीमोझी रात भर नहीं सो पाई जेल में"..जैसी..मीडिया की प्रमुख खबरों पर सवाल उठाया है. वेशक ऐसी खबरें मीडिया के चारित्रिक पतन को उजागर करती है.यदि हम दिखता है,वह बिकता है की भी बात करें तो भी 2जी स्जेक्ट्रम घोटाले में डूबे कोनीमोझी में ऐसी कोई बात नहीं दिखती है.

आज हमारा देश अनेक प्रकार की समस्याओं से जुझ रहा है..उनमें बढ़ती महंगाई के साथ भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है. इसका व्यापक खुलासा और उस पर बहस होनी चाहिए....लेकिन मीडिया किसी लुटेरे को जेल में मच्छर काट रहा है ....किसी लुटेरे को नींद नहीं आ रही है...किसी लुटेरे की सेल में रंगीन टीवी,एसी आदि नहीं है..जैसे बेतुकेपन को लाग लपेट के साथ परोस कौन सा कीर्तीमान बनाने की फिराक में है.....समझ से बिल्कुल परे है.
न्यूज़ चैनलों की स्थिति तो और भी वद्दतर है.उसे न्यूज चैनल कहने में भी शर्म महसुस होती है.....मनोरंजन चैनलों की कतरनें या कहिए जुठन के बीच अपनी मतलब की खबरों को दिखाने का धंधा बना लिया है.समाचार पत्रों में भी प्राय: देश के लुटेरे पूंजीपतियों का आयना अधिक दिखता है.माना कि हमाम में सब नंगे होते हैं..लेकिन पत्रकरिता कोई हमाम नहीं है कि सब अपनी चड्डी उतार ले....

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