गौर से देखिए इन तस्वीरों को..ये एन.एच.-33 के फोर लेनिंग कार्य में लगे
नौकरशाहों की मनमानी के जीता-जागता उदाहरण हैं. ये तीन तस्वीरें ब्लॉक चौक
ओरमांझी से ईरबा के बीच मात्र एक किमी के अंदर खींची गई है. पहली तस्वीर
में नव निर्मित सड़क की चौड़ाई बमुश्किल 16-1...7
फीट और किनारे गड़े बिजली पोल की दूरी 7-8 फीट है वही, दूसरी तस्वीर में नव
निर्मित सड़क की चौड़ाई बमुश्किल 16-17 फीट और किनारे गड़े बिजली पोल की
दूरी 4-5 फीट है. अब जरा तीसरी तस्वीर को देखिए... यहां पर नव निर्मित सड़क
की चौड़ाई करीब 40 फीट से अधिक है वहीं, हालिया गड़े बिजली पोल की दूरी
सड़क से 70 फीट से ऊपर है. आखिर सड़क के चौड़ीकरण में एक किमी के भीतर
निर्धारित मापदंड में इतना फर्क क्यों ? जाहिर है कि पहले और दूसरे चित्र
के पास एन.एच के अधिकारियों ने भारी लेन-देन किया है वही, तीसरे चित्र के
आगे घनी आबादी है उसे पीड़ित कर लेन-देन नहीं कर सकी. सबसे रोचक पहलु तो यह
है कि पहले और दूसरे चित्र के आस-पास कोई घनी आबादी नहीं है और सड़क
निर्माण कार्य अभी अधुरा है जबकि, तीसरे चित्र के पास घनी आबादी होने के
बाबजूद करीब 100 फीट सड़क बन चुकी है. ऐसे में लोगों का एन.एच. प्राधिकरण
के प्रति आक्रोशित होना स्वभाविक है.
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