बुधवार, 20 जुलाई 2011

ईमानदार नहीं,बेईमान प्रधानमंत्री हैं मनमोहन सिंह

जब लोग हमारे देश के निठल्ले प्रधानमंत्री को ईमानदार बताते हैं। तब गुस्सा भी उतना ही आता है,जितनी हंसी। समझ में नहीं आता है कि ऐसे लोगों की थोथी दलील के पिछे असली राज क्या है। वर्तमान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनकी मनमोहनी सोनिया गांधी के राज में जितने भ्रष्टाचार के मामले उजागर हुए हैं,वे रिकार्ड मानी जा सकती है। कई घोटाले तो प्रधानमंत्री की प्रत्यक्ष जानकारी में हुई है।
हाल ही में लीक हुई नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट बताती है कि मुरली देवरा के नेतृत्व में तेल मंत्रालय और रिलायंस इंडस्ट्रीज की सांठ-गांठ से देश को अरबों रु का नुकसान हुआ और इस घोटाले की जानकारी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को तब से ही थी जब इसकी नींव पड़ रही थी।
हाल ही में लीक हुई कैग की रिपोर्ट से पता चला है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने केजी (कृष्णा-गोदावरी) बेसिन परियोजना में गैस निकालने की लागत को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया और जमकर मुनाफा कमाने का रास्ता साफ किया। इससे सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हुआ। लाखों करोड़ रुपयों के घोटाले के जमाने में एक और बड़े घोटाले का उजागर होना उतना आश्चर्यजनक नहीं है जितना इस बात की जानकारी होते हुए भी 'ईमानदार' प्रधानमंत्री का चुप रह जाना है। दस्तावेज बताते हैं कि सीएजी की रिपोर्ट में सरकार और जनता को होने वाले नुकसान की जो बात अब सामने आ रही है इसकी जानकारी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को तब भी थी जब इस नुकसान की नींव रखी जा रही थी।
सवाल यह उठता है कि क्या भ्रष्टाचार को संरक्षण देने और सब कुछ जानते हुए भी उसे रोकने के लिए कदम न उठाना ही वह ईमानदारी है,जिसका प्रधानमंत्री की पार्टी और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी रात-दिन गुणगान करते रहते हैं। आपका जवाब चाहे जो हो लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ईमानदारी की नयी परिभाषा गढ़ी है। राष्ट्रमंडल खेलों में हुए घोटाले से लेकर स्पेक्ट्रम घोटालों तक हर बार संकेत मिले कि प्रधानमंत्री को अनियमितता और उससे सरकारी खजाने को होने वाले नुकसान के बारे में अंदेशा था। लेकिन प्रधानमंत्री ने अपनी कार्यशैली की पहचान बन चुकी 'चुप्पी' को सबसे कारगर हथियार के रूप में इस्तेमाल किया और चारों ओर से जमकर लूटे जा रहे खजाने को लुटने दिया. अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री या तो आर्थिक नुकसानों को समझ नहीं सके या फिर उन्होंने इस ओर ध्यान देना ही उचित नहीं समझा।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

धन्यवाद