झारखंड सरकार की मीडिया फेलोशिप समिति द्वारा अनुसंशित जिन 30 में 26 उम्मीदवारों (पत्रकारों) को सरकार ने 50-50 हजार रुपए की फेलोशिप प्रदान करने की घोषणा की है, उनका गहन अवलोकन करने पर यह साफ जाहिर होता है कि मुंडा सरकार ने झारखंड की पत्रकारिता के एक खास वर्ग के चहेतों के बीच मात्र रेवड़ियां बांटने का कार्य की है। जिन पत्रकारों को इसका लाभ मिलनी चाहिए, उसे नहीं मिलने की परंपरा कायम रखते हुये इसमें पारदर्शिता नहीं बरती गई है और यदि इसकी न्यायपूर्ण जांच की जाए तो सबकी कलई खुलनी तय है। चयन समिति में कई ऐसे लोग हैं,जिनसे पारदर्शिता की उम्मीद कदापि नहीं की जा सकती और इनके चयन के आधार सार्वजनिक होनी चाहिए।
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