रविवार, 24 जुलाई 2011

वंशवाद एक निकृष्टतम कोटि का आरक्षण

 परिवारवाद की राजनीति
वंशवाद या परिवारवाद शासन की वह पद्धति है जिसमें एक ही परिवार, वंश या समूह से एक के बाद एक कई शासक बनते जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि लोकतंत्र में वंशवाद के लिये कोई स्थान नहीं है किन्तु फिर भी अनेक देशों में अब भी वंशवाद हाबी है। वंशवाद, निकृष्टतम कोटि का आरक्षण है। यह राजतंत्र का एक सुधरा हुआ रूप कहा जा सकता है। वंशवाद, आधुनिक राजनैतिक सिद्धान्तों एवं प्रगतिशीलता के विरुद्ध है।
  • वंशवाद के कारण नये लोग राजनीति में नहीं आ पाते।
  • वंशवाद सच्चे लोकतंत्र को मजबूत नहीं होने देता।
  • अयोग्य शासक देश पर शासन करते हैं जिससे प्रतिभातन्त्र के बजाय मेडियोक्रैसी को बढ़ावा मिलता है।
  • समान अवसर का सिद्धान्त पीछे छूट जाता है।
  • ऐसे कानून एवं नीतियाँ बनायी जाती हैं जो वंशवाद का भरण-पोषण करती रहती हैं।
  • आम जनता में कुंठा की भावना घर करने लगती है।
  • दुष्प्रचार, धनबल एवं भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जाता है ताकि जनता का ध्यान वंशवाद की कमियों से दूर रखा जा सके।
  • जनता में स्वतंत्रता की भावना की कमी बनी रहती है।
  • देश की सभी प्रमुख संस्थाएं पंगु बनाकर रखी जाती हैं।

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