बुधवार, 27 जुलाई 2011

भारत के खिलाफ एक आग है पाकिस्तानी विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार


पाकिस्तान की युवा और पहली महिला विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार जितनी खूबसूरत हैं उतनी ही चालाक भी। हिना ने भारत आने से पहले अलगाववादी नेताओं से मुलाकात कर अपनी मंशा का इजहार कर दिया। हालांकि हिना रब्बानी की जितनी उम्र है उससे ज्यादा समय से तो भारत के विदेश मंत्री एसएम कृष्णा सियासी अनुभव रखते हैं।
खूब सीख पढ़कर आई हैं
‌पाक के नेता भारत आने के बाद भारतीय नेताओं से मुलाकात से पहले हुर्रियत नेताओं को वार्ता के लिए आमंत्रित करते हैं। इससे वे अपना एजेंडा साफ करते हैं कि भारत संग बातचीत में जम्मू कश्मीर मसले पर उनका विशेष जोर हैं। हालांकि इस बार भारत ने रब्बानी के दौरे को अंतिम रूप देने से पहले ही साफ कर दिया था कि नई दिल्ली अलगाववादियों से भेंट से खुश नहीं होगा। रब्बानी को यह भी सलाह दी गई थी कि इसके बावजूद अगर वह अलगाववादियों से मुलाकात कर ही रही हैं तो कम से कम उनसे हिंसा का रास्ता छोड़ कर मुख्य धारा में शामिल होने की अपील जरूर करें।
चतुर और महत्वाकांक्षी
हिना काफी चतुर और महत्वाकांक्षी हैं। अनुभवहीनता के बावजूद उन्होंने पूर्व कानून मंत्री बरार अवान, पूर्व विदेश मंत्री सरदार आसिफ अली और नैशनल असेंबली की स्पीकर डॉ. फहमीदा मिर्जा जैसे राजनीतिक दिग्गजों को विदेश मंत्री पद की दौड़ से बाहर कर दिया। पाकिस्तान की पहली महिला विदेश मंत्री होने का गौरव हासिल करने वालीं हिना वहां के रुतबे वाले राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखती हैं। वह जाने-माने राजनेता गुलाम नूर रब्बानी खार की बेटी और पंजाब के पूर्व राज्यपाल व अपनी रंगीन मिजाजी के लिए चचिर्त गुलाम मुस्तफा खार की भतीजी हैं।
भारत के प्रति मानसिकता
विदेश मंत्री का पद संभालते ही हिना ने जता दिया था कि वह भारत के प्रति किस प्रकार की मानसिकता रखती हैं। खार ने कहा था‌ कि उनका देश दक्षिण एशिया में किसी देश का वर्चस्व स्वीकार नहीं करेगा। ना ही अमेरिका और ना ही चीन या भारत वर्तमान परिस्थितियों में इस्लामाबाद के रणनीतिक महत्व को कम कर सकते हैं। हिना अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के उस बयान पर प्रतिक्रिया दे रही थी,जिसमें उन्होंने एशियाई क्षेत्र में भारत की प्रमुख भूमिका का समर्थन किया था।

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