लोकपाल बिल होगा इसी मानसून सत्र में पेश
आखिरकार केंद्रीय कैबिनेट ने लोकपाल बिल का ड्राफ्ट मंजूर कर लिया है. लोकपाल का यही ड्राफ्ट संसद के मानसून सत्र में पेश किया जाना है. केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में लोकपाल ड्राफ्ट को मंजूरी दी गई. वैसे इस ड्राफ्ट में कुछ प्रावधान जोड़े गए हैं या कुछ तब्दीली की गई है.
लोकपाल ड्राफ्ट की खास-खास बातें:
-लोकपाल कमेटी में अध्यक्ष के अलावा 8 अन्य सदस्य होंगे.
-लोकपाल कमेटी में 50 फीसदी सदस्य न्यायपालिका से होंगे.
-बाकी 50 फीसदी सदस्य अलग-अलग क्षेत्रों से होंगे.
-अध्यक्ष कौन हो सकता है, इसका जिक्र किया गया है.
-कमेटी का अध्यक्ष केवल न्यायपालिका का ही होगा.
-सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज अध्यक्ष हो सकेंगे.
-लोकपाल के दायरे में होगा प्रधानमंत्री का पद.
-मौजूदा प्रधानमंत्री लोकपाल के दायरे से बाहर.
-लोकपाल कमेटी के सदस्यों के लिए 25 साल का अनुभव जरूरी.
-प्रधानमंत्री के खिलाफ कार्रवाई के लिए 7 साल की समय-सीमा.
-लोकपाल कमेटी में अध्यक्ष के अलावा 8 अन्य सदस्य होंगे.
-लोकपाल कमेटी में 50 फीसदी सदस्य न्यायपालिका से होंगे.
-बाकी 50 फीसदी सदस्य अलग-अलग क्षेत्रों से होंगे.
-अध्यक्ष कौन हो सकता है, इसका जिक्र किया गया है.
-कमेटी का अध्यक्ष केवल न्यायपालिका का ही होगा.
-सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज अध्यक्ष हो सकेंगे.
-लोकपाल के दायरे में होगा प्रधानमंत्री का पद.
-मौजूदा प्रधानमंत्री लोकपाल के दायरे से बाहर.
-लोकपाल कमेटी के सदस्यों के लिए 25 साल का अनुभव जरूरी.
-प्रधानमंत्री के खिलाफ कार्रवाई के लिए 7 साल की समय-सीमा.
गौरतलब है कि अन्ना हजारे की टीम शुरू से ही प्रधानमंत्री पद को लोकपाल के दायरे में लाना चाहती थी, जबकि सरकार पहले इसके खिलाफ थी. यही स्थिति न्यायपालिका को लेकर भी है. अन्य कई मुद्दों पर भी सरकार की राय जुदा है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह सरकारी लोकपाल ड्राफ्ट जनता की आकांक्षाओं पर कितना खरा उतर सकेगा.
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