गुरुवार, 28 जुलाई 2011

सरकारी लोकपाल को कैबनेट की मंजूरी, अन्ना विफरे

टीम अन्ना ने सरकारी लोकपाल बिल को लोकपाल के नाम पर जनता को धोखा बताया है। अपनी वेबसाइट पर टीम अन्ना ने सरकारी लोकपाल बिल की यह कमियां जारी की हैं। 
  • रिश्वतखोरी से दुखी आम आदमी की शिकायतें लोकपाल नहीं सुनेगा।

    निचले स्तर के अधिकारियों व कर्मचारियों के भ्रष्टाचार की जन लोकपाल के दायरे में नहीं आएगी।

    नगर निगम, पंचायत, विकास प्राधिकरणों का भ्रष्टाचार इसकी जांच के दायरे में नहीं आएगा।

    राज्य सरकारों का भ्रष्टाचार इसके दायरे में नहीं आएगा।

    प्रधानमंत्री, जजों और सांसदों का भ्रष्टाचार इसके दायरे में नहीं आएगा, यानि २-जी, कैश फॉर वोट, कामनवेल्थ, आदर्श, येदुरप्पा, जैसे घोटाले इससे एकदम बाहर रखे गए हैं।

    ७ साल से पुराना कोई भी मामला इसकी जांच के दायरे में नहीं आएगा... अर्थात बोफोर्स, चारा घोटाला जैसा कोई भी घोटाला इसकी जांच के दायरे से पहले ही अलग कर दिया गया है।

    लोकपाल के सदस्यों का चयन प्रधानमंत्री, एक मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, प्रधानमंत्री द्वारा मनोनीत एक बुद्धिजीवी, एक ज्यूरिस्ट, के हाथ में होगा क्योंकि इसके चयन के लिए जो समिति बनेगी उसमें एक बाकी के एक दो लोगो और होंगे, और उनकी कौन सुनेगा?

    लोकपाल के सदस्यों को ही सारा काम करना होगा यानि सारा का सारा काम ८ सदस्य करेंगे, अफसरों के पास निर्णय लेने के अधिकार नहीं होंगे, इससे सारा का सारा काम दो-तीन महीने में ही ठप हो जाएगा।
ज़ाहिर है कि नेता एक अच्छा लोकपाल बिल नहीं ला सकते. क्योंकि अगर एक सख्त लोकपाल कानून बना तो देश के आधे से अधिक नेता दो साल में जेल चले जायेंगे और बाकी की भी दुकानदारियाँ बंद हो जाएंगी। इसलिए यह ज़रूरी हो गया है कि हम यानी देश के आम लोग इस कानून को बनवाने की पहल करें.

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