रविवार, 31 जुलाई 2011

सरकारी दलालों के हाथ कलप-कलप के मर रहे हैं हमारे अन्नदाता

हमारे देश में संविधान की कोई अहमियत है या नहीं। अन्न उगाने वाले हमारे देश के  मूल निर्माता किसान आए दिन आत्म हत्या कर रहे है..सिर्फ इसलिए कि उन्हें अपनी लागत के बराबर भी मूल्य नहीं मिल रहा । उनकी मेहनत की कमाई खा रहे हैं, सरकार और उसके पूंजीपति दलाल............

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