जिस समय हिना रब्बानी भारतीय विदेश मंत्री एसएम कृष्णा से हाथ मिला रही थीं, उस समय सरहद पर पाकिस्तानी सेना घुसपैठियों को कवरिंग फायर दे रही थी। सीमा पर तैनात भारतीय जवानों से उनकी मुठभेड़ हुई, जिसमें दो भारतीय जवान शहीद हो गये। हद तो तब पार हो गई जब पाकिस्तानी सेना उन दोनों जवानों के सिर कलम कर अपने साथ ले गई।
और वेशक इस घटना से जाहिर है कि पाकिस्तान ने एक बार फिर पीठ पर छुरा भोंकने वाला काम किया है। एक तरफ अपनी नई नवेली विदेश मंत्री को दोस्ती का हाथ बढ़ाने के लिए भारत भेजा तो दूसरी तरफ उसी की सेना ने सरहद पर शर्मनाक वारदात को अंजाम दिया।
इस खबर को भारतीय सेना ने दबाये रखा और आनन-फानन में आकर दोनों का अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस बात की खबर जवानों ने दबे शब्दों में दी है, लेकिन सेना ने अभी तक अधिकारिक पुष्टि नहीं की है। ये दोनों जवान उत्तराखंड के रहने वाले थे। एक पिथैरागढ़ का और दूसरा हल्द्वानी का। दोनों के दाह संस्कार के दौरान मौजूद पुलिस के अधिकारी ने बताया कि शव ऐसी हालत में थे कि परिवार के सदस्यों को देखने की इजाजत नहीं दी गई। पुलिस के मुताबिक भारतीय सेना की ओर से मिले एक पत्र में कहा गया था कि गोलीबारी के दौरान दोनों के सिर धड़ से अलग हो गये।
सरहद पर स्थित फुरिकयान गली में 30 जुलाई को हुई घुसपैठ की कोशिशों के दौरान आतंकवादियों के पीछे पाकिस्तानी सेना के जवान भी थे। इन जवनों ने आतंकियों को सीमा पार कराने के लिए भारत से मुठभेड़ शुरू कर दी, ताकि वे आसानी से अंदर घुस सकें। लेकिन भारतीय सैनिकों ने बहादुरी का परिचय देते हुए मुठभेड़ को नाकाम कर दिया।
इस खबर को भारतीय सेना ने दबाये रखा और आनन-फानन में आकर दोनों का अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस बात की खबर जवानों ने दबे शब्दों में दी है, लेकिन सेना ने अभी तक अधिकारिक पुष्टि नहीं की है। ये दोनों जवान उत्तराखंड के रहने वाले थे। एक पिथैरागढ़ का और दूसरा हल्द्वानी का। दोनों के दाह संस्कार के दौरान मौजूद पुलिस के अधिकारी ने बताया कि शव ऐसी हालत में थे कि परिवार के सदस्यों को देखने की इजाजत नहीं दी गई। पुलिस के मुताबिक भारतीय सेना की ओर से मिले एक पत्र में कहा गया था कि गोलीबारी के दौरान दोनों के सिर धड़ से अलग हो गये।
सरहद पर स्थित फुरिकयान गली में 30 जुलाई को हुई घुसपैठ की कोशिशों के दौरान आतंकवादियों के पीछे पाकिस्तानी सेना के जवान भी थे। इन जवनों ने आतंकियों को सीमा पार कराने के लिए भारत से मुठभेड़ शुरू कर दी, ताकि वे आसानी से अंदर घुस सकें। लेकिन भारतीय सैनिकों ने बहादुरी का परिचय देते हुए मुठभेड़ को नाकाम कर दिया।
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