गुरुवार, 11 अगस्त 2011

राज्य सरकारों तक के गुलाम बन गई है न्यूज एजेंसियां

आखिर आम जनता करे भी तो क्या! लूटेरों और माफियाओं के बल चल ही खासकर झारखंड सरकार मीडिया पर पूरी तरह हावी चुकी है। बात चाहे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की हो या प्रिंटिंग मीडिया की, सभी सरकार के गुलाम बन बैठे हैं।बड़े-बड़े मीडिया हाउसों की की बात तो दूर छोटे-छोटे कुक्कुरमुत्ते के भांति उगे मीडिया हाउस अपनी आंख फूटने के पहले ही सरकार की गोद में खेलने को आतुर हो उठते हैं। इसका एक वड़ा कारण यह भी है कि ये मीडिया हाउस सरकारी खजाने की लूट के हिस्से से ही पैदा हुए हैं और भूख लगने पर सरकारी खजाने से ही दूध की भी आकांक्षा रखते हैं। यहां यह कोई देखने-पूछने वाला नहीं है कि आखिर इनकी अर्थ व्यवस्था का राज क्या है!
बहरहाल,सबसे दुःखद पहलु है कि यहां की सभी समाचार एजेंसियों के पत्रकार भी सरकार के पिट्ठू बन कर इस खेला में शामिल हैं और अपने संचालक को विज्ञापन से खुश कर रहे हैं।ऐसे में सही सूचनाओं की क्या उम्माद करना..

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