रविवार, 7 अगस्त 2011

बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की य़ाचिका खारिज

दिलीप कुमार गुप्ता

पटना हाईकोर्ट ने सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की उस याचिका में आदेश पारित करने से मना कर दिया, जिसमें बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने का आग्रह किया गया था। अदालत ने जनहित याचिका को निष्पादित करते हुए कहा कि राज्य सरकार स्वयं इस मसले पर पहल कर रही है। अत: इसमें अदालत का हस्तक्षेप मुनासिब नहीं होगा। वैसे भी अदालत की अपनी सीमाएं हैं।

न्यायाधीश एस.के कटरियार एवं न्यायाधीश ए.अमानुल्लाह की खंडपीठ ने बुधवार को इस मामले पर सुनवाई की। सांसद का पक्ष रखते हुए वरीय अधिवक्ता बसंत कुमार चौधरी ने कहा कि वे हाईकोर्ट से यह नहीं चाहते हैं कि 'विशेष राज्य का दर्जा' दिलवा देने का आर्डर दिया जाए ,बल्कि यह चाहते हैं कि इस मामले पर केन्द्र सरकार को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए ताकि आम लोगों को जानकारी हो सके कि 'विशेष राज्य का दर्जा' का हौवा तो नहीं उड़ाया जा रहा है। याचिकाकर्ता यह भी जानना चाहते थे कि विशेष राज्य का दर्जा पाने के लिए कौन-कौन सी शर्ते हैं।
याचिका में कहा गया था कि बिहार का दो बार बंटवारा हो चुका है। पहली बार 1937 में जब बिहार से उड़ीसा अलग हुआ। दूसरी बार 2000 में झारखंड बंट गया। इस तरह से बिहार आर्थिक रूप से कमजोर हुआ। इसके अलावा कई तत्व मौजूद हैं जिसके चलते बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए। राज्य की ओर से उपस्थित अपर महाधिवक्ता ने याचिकाकर्ता के मांग को सही बताया।

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