बुधवार, 17 अगस्त 2011

गांधी के रास्तों पर नहीं चल रहे हैं अन्नाः तुषार गांधी

महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने कहा है कि विरोध-प्रदर्शन के तौर पर अनशन का इस्तेमाल करने के बापू और सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के तरीके में अंतर है। हजारे का अनशन इसलिए अलग है क्योंकि बापू का अनशन किसी शत्रु को मित्र में बदलने के लिए था , वहीं अन्ना का अनशन शत्रु के खिलाफ है। यह एक तरह से मैं बनाम तुम का मामला है और इसे गांधी के रास्तों पर चलना नहीं माना जा सकता।
तुषार गांधी के अनुसार वे जो देख रहे हैं वह लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रति जनता की चिंता है। लोगों और सरकार के बीच बेमेल का भाव है। यदि महात्मा गांधी होते तो अन्ना के आंदोलन को कैसे देखते, इस पर तुषार गांधी ने कहा, बापू कभी हालात को इस स्तर पर नहीं पहुंचने देते। जब बीमारी शुरुआती स्तर पर होती तभी वह सक्रिय हो जाते। 

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