बुधवार, 15 सितंबर 2010

महामहिम राष्ट्रपति और राष्ट्रभाषा का प्रत्यक्ष अपमान !!

गत १४ सितंबर को ही समूचे देश में हमारे देश की राष्ट्रभाषा "हिन्दी दिवस" मनाया गया.ऐसे में हम झारखंड प्रांत कीबात करें तो कि इस हिन्दी भाषा क्षेत्र में राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने का मादा रखने वाली हिन्दी भाषा को लेकर सर्वत्रखानापूर्ति ही की जा रही है.व्यवहारिकता में कहीं से भी शुभ संकेत नहीं मिल रहे है.
वहरहाल,विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के महामहिम राष्ट्रपति के प्रतिनिधि एवं झारखंड प्रांत के प्रथम नागरिकमहामहिम राज्यपाल एच..फारूख साहेब की बात तो और भी निराली है.वे तो हिन्दी बोल सकते हैं,हिंदी लिखसकते हैं और ही हिन्दी पढ़ सकते हैं.उन्हें मुख्यमंत्री सरीखे से बात करने के लिए "अनुवादक" का सहारा लेना पड़ताहै.इनके पूर्व के दो महामहिमों का हाल भी कमोवेश यही रहा है. ये बात किसी से भी छुपी नहीं है कि अनुवाद के क्रम मेंतथ्यों का हेरफेर होना स्वभाविक है और ऐसे कई उदाहरण गिनाए जा सकते हैं
आखिर हिन्दीभाषी क्षेत्रो में गैरहिंदी भाषियों को राज्यपाल नियुक्त किया जाना अपमान नहीं तो क्या है.जो राष्ट्रभाषा
नहीं जानता उससे राष्ट्रयीता की कल्पना कैसे की जा सकती है.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

धन्यवाद