शनिवार, 13 अगस्त 2011

इंगलिश मीडिया ने टीम इंडिया की तुलना कुत्ते से की

इंग्लैंड के अखबार 'डेली मेल' ने भारतीय टीम की तुलना कुत्तसे से कर दी है. इतना ही नहीं इस लेख में टीम की तस्वीर की जगह कुत्ते की तस्वीर लगाई है.
गुरुवार को अख़बार में छपे इस लेख में कहा गया,  "शीपिश इंडिया हैव गॉन टू द डॉग्स". लेख की इस हेडलाइन के नीचे एक कुत्ते की तस्वीर जड़ दी गई है.अब सवाल उठने लगे हैं कि खबर को बताने के लिए क्या कुत्ते की तस्वीर छापनी जरूरी थी? क्या उदाहरण देने के लिए दुनिया के अन्य सारे विश्लेषण खत्म हो गए थे?
अखबार ने आपत्तिजनक रूप से टीम इंडिया की तुलना कुत्तों से कर डाली. उन्होंने इंग्लैंड की टीम को भेड़ों की भीड़ बताया. अखबार ने लिखा है कि मैच के दौरान भारतीय खिलाडियों की स्थिति उन कुत्तों जैसी थी जो भेड़ों की भीड़ को देखकर भाग जाते है
'डेली मेल' अखबार ने वीरेन्द्र सहवाग पर भी बिना सोचे-समझे आरोप जड़ दिया. अखबार ने कुछ तस्वीरों की बिना पर यह कह दिया कि सहवाग ने गेंद पर मिंट रगड़कर छेड़छाड़ की है. जबकि टीवी की तस्वीरों में ऐसा कुछ भी दिखाई नहीं दिया, जैसा कि अखबार दावा कर रहा है. तस्वीर में सहवाग गेंद को पतलून से रगड़कर चमकाते दिख रहे हैं.
इससे पहले इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने लक्ष्मण पर सवाल उठाते हुए कहा था कि उन्होंने हॉट स्पॉट तकनीक से बचने के लिए उसने अपने बल्ले पर वैसलीन लगाई हो सकती है.वॉन ने इंग्लैंड टीम के बल्लेबाज रवि बोपारा को सलाह दी है कि वह सचिन को पूजना बंद करें. वॉन ने कहा कि बोपारा अब अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर हैं, सचिन को देखकर वॉओ कहना बंद करना चाहिए. बतौर टेस्ट क्रिकेटर आप अपने विरोधी की पूजा नहीं कर सकते.
टीमें हारती हैं जीतती भी हैं. लेकिन अपनी टीम के नंबर वन की ओर बढ़ता देख इंग्लिश मीडिया और कुछ पूर्व खिलाड़ियों का ऐसा रवैया ठीक नहीं है. उन्हें दूसरों का अपमान करने का अधिकार किसने दिया.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

धन्यवाद