सोमवार, 8 अगस्त 2011

बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि विवादः इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका मंजूर

सर्वोच्च न्यायालय ने बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बांटे जाने के फैसले के खिलाफ सोमवार को अखिल भारतीय श्री राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति की एक याचिका स्वीकार कर लीहै।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति आर.एम. लोढ़ा
की पीठ ने याचिका को स्वीकार कर उसे मुख्य मामले से सम्बद्ध कर दिया.
सुन्नी वक्फ बोर्ड ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि राम जन्मभूमि
पुनरुद्धार समिति, अयोध्या विवाद पर आए इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के 30 सितम्बर, 2010 के फैसले से पहले मामले में कोई पक्ष नहीं था.
वक्फ बोर्ड के वकील अनूप चौधरी ने अदालत से कहा कि समिति एक अन्य मामले में
उच्च न्यायालय गया था, जिसे खारिज कर दिया गया था. अब वह एक ऐसे मामले में याचिका दायर नहीं कर सकता है, जिसमें वह उच्च न्यायालय में पक्ष नहीं है.
न्यायालय ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड की आपत्ति बरकरार रहेगी और सुनवाई के दौरान इस पर विचार किया जाएगा.

ज्ञात हो कि उच्च न्यायालय के फैसले में पिछले वर्ष विवादित स्थल को तीन
दावेदारों के बीच तीन हिस्सों में बांटने का निर्देश दिया गया था. सर्वोच्च न्यायालय ने नौ मई, 2011 को इस फैसले को 'विचित्र और चकित' करने वाला बताते हुए उसे स्थगित कर दिया था.
इस फैसले में केंद्रीय गुम्बद का निचला हिस्सा राम लला को
, राम चबूतरा और सीता रसोई निर्मोही अखाड़ा को और शेष हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिए जाने का आदेश दिया गया था.

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